गलातियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र – अध्याय 6
1) भाइयो! यदि यह पता चले कि किसी ने कोई अपराध किया है, तो आप लोग, जो आध्यात्मिक हैं, उसे नम्रतापूर्वक सुधारें। आप स्वयं सावधान रहें: कहीं ऐसा न हो कि आप भी प्रलोभन में पड़ जाये।
2) ऐसे भारी बोझ ढोने में एक दूसरे की सहायता करें और इस प्रकार मसीह की विधि पूरी करें।
3) क्योंकि यदि कोई समझता है कि मैं कुछ हूँ, जब कि वह कुछ नहीं है, तो वह अपने को धोखा देता है।
4) हर एक अपने आचरण की जाँच करे। यदि वह इस पर गर्व कर सकता है, तो वह किसी दूसरे के कार्य पर नहीं, बल्कि अपने पर गर्व कर सकेगा;
5) क्योंकि हर एक को अपना बोझ ढोना पड़ता है।
6) जो वचन की शिक्षा पा रहा है, वह अपनी सम्पत्ति का कुछ भाग अपने शिक्षक को अर्पित करे।
7) धोखे में न रहें! ईश्वर का उपहास नहीं किया जा सकता। मनुष्य जो बोता हे वही लुनता है।
8) जो अपने शरीर की भूमि में बोता है, वह अपने शरीर की भूमि में विनाश की फसल लुनेगा; किन्तु जो आत्मा की भूमि में बोता है, वह आत्मा की भूमि में अनन्त जीवन की फसल लुनेगा।
9) हम भलाई करते-करते हिम्मत न हार बैठें; क्योंकि यदि हम दृढ़ बनें रहेंगे, तो समय आने पर अवश्य फसल लुनेंगे।
10) इसलिए जब तक हमें अवसर मिल रहा है, हम सबों की भलाई करते रहें, विशेष रूप से उन लोगों की, जो विश्वास के कारण हमारे सम्बन्धी हैं।
हम पूर्ण रूप से नयी सृष्टि बन जायें
11) इन बड़े-बड़े अक्षरों को देखिए- मैं अपने हाथ से लिख रहा हूँ।
12) जो लोग खतने के लिये आप को बाध्य करते हैं, वे संसार की लोकप्रियता प्राप्त करना चाहते हैं; कहीं ऐसा न हो कि मसीह के क्रूस के कारण उन पर अत्याचार किया जाये।
13) क्योंकि जो लोग अपना खतना कराते हैं, वे स्वयं संहिता का पालन नहीं करते; बल्कि वे आपका खतना कराना चाहते हैं, जिससे वे इस बात पर गर्व कर सकें कि आपने अपने शरीर में इस धर्मविधि को स्वीकार किया है।
14) मैं केवल हमारे प्रभु ईसा मसीह के क्रूस पर गर्व करता हूँ। उन्हीं के कारण संसार मेरी दृष्टि में मर गया है और मैं संसार की दृष्टि में।
15) किसी का खतना हुआ हो या नहीं, इसका कोई महत्व नहीं। महत्व इस बात का है कि हम पूर्ण रूप से नयी सृष्टि बन जाये।
16) इस सिद्धान्त के अनुसार चलने वालों को और ईश्वर के इस्राएल को शान्ति और दया मिले!
17) अब से कोई मुझे तंग न करें। ईसा के चिह्न मेरे शरीर पर अंकित हैं।
18) भाइयो! हमारे प्रभु ईसा मसीह की कृपा आप लोगों पर बनी रहे! आमेन।
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