बेथलेहेम की ओर यात्रा – Day 04

क्रिसमस की उत्तम तैयारी | Day 04 - आदम-हेवा के साथ by Fr. George Mary Claret

बेथलेहेम की ओर यात्रा – आदम-हेवा के साथ

Journey to Bethlehem

बेथलेहेम की ओर यात्रा का चौथा दिन हमारे साथ हमारे आदि माता-पिता हैं । आइये हम इनके साथ का पूरा पूरा लाभ उठाएँ और हमारी इस यात्रा को सफल बनाएँ।

एक ही मनुष्य द्वारा संसार में पाप का प्रवेश हुआ और पाप द्वारा मृत्यु का। इस प्रकार मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गयी, क्योंकि सब पापी है।

रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 5:12
उत्पत्ति ग्रन्थ 3:1-20
1) ईश्वर ने जिन जंगली जीव-जन्तुओं को बनाया था, उन में साँप सब से धूर्त था। उसने स्त्री से कहा, ”क्या ईश्वर ने सचमुच तुम को मना किया कि वाटिका के किसी वृक्ष का फल मत खाना”?
2) स्त्री ने साँप को उत्तर दिया, ”हम वाटिका के वृक्षों के फल खा सकते हैं।
3) परन्तु वाटिका के बीचोंबीच वाले वृक्ष के फलों के विषय में ईश्वर ने यह कहा – तुम उन्हें नहीं खाना। उनका स्पर्श तक नहीं करना, नहीं तो मर जाओगे।”
4) साँप ने स्त्री से कहा, ”नहीं! तुम नहीं मरोगी।”
5) ईश्वर जानता है कि यदि तुम उस वृक्ष का फल खाओगे, तो तुम्हारी आँखें खुल जायेंगी। तुम्हें भले-बुरे का ज्ञान हो जायेगा और इस प्रकार तुम ईश्वर के सदृश बन जाओगे।
6) अब स्त्री को लगा कि उस वृक्ष का फल स्वादिष्ट है, वह देखने में सुन्दर है और जब उसके द्वारा ज्ञान प्राप्त होता है, तो वह कितना लुभावना है! इसलिए उसने फल तोड़ कर खाया। उसने पास खड़े अपने पति को भी उस में से दिया और उसने भी खा लिया।
7) तब दोनों की आँखें खुल गयीं और उन्हें पता चला कि वे नंगे हैं। इसलिए उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़-जोड़ कर अपने लिए लंगोट बना लिये।
8) जब दिन की हवा चलने लगी, तो पुरुष और उसकी पत्नी को वाटिका में टहलते हुए प्रभु-ईश्वर की आवाज सुनाई पड़ी और वे वाटिका के वृक्षों में प्रभु-ईश्वर से छिप गये।
9) प्रभु-ईश्वर ने आदम से पुकार कर कहा, ”तुम कहाँ हो?”
10) उसने उत्तर दिया, ”मैं बगीचे में तेरी आवाज सुन कर डर गया, क्योंकि में नंगा हूँ और मैं छिप गया”।
11) प्रभु ने कहा, ”किसने तुम्हें बताया कि तुम नंगे हो? क्या तुमने उस वृक्ष का फल खाया, जिस को खाने से मैंने तुम्हें मना किया था?”
12) मनुष्य ने उत्तर दिया, ”मेरे साथ रहने कि लिए जिस स्त्री को तूने दिया, उसी ने मुझे फल दिया और मैंने खा लिया”।
13) प्रभु-ईश्वर ने स्त्री से कहा, ”तुमने क्या किया है?” और उसने उत्तर दिया, ”साँप ने मुझे बहका दिया और मैंने खा लिया”।
14) तब ईश्वर ने साँप से कहा, ”चूँकि तूने यह किया है, तू सब घरेलू तथा जंगली जानवरों में शापित होगा। तू पेट के बल चलेगा और जीवन भर मिट्टी खायेगा।
15) मैं तेरे और स्त्री के बीच, तेरे वंश और उसके वंश में शत्रुता उत्पन्न करूँगा। वह तेरा सिर कुचल देगा और तू उसकी एड़ी काटेगा”।
16) उसने स्त्री से यह कहा, ”मैं तुम्हारी गर्भावस्था का कष्ट बढ़ाऊँगा और तुम पीड़ा में सन्तान को जन्म दोगी। तुम वासना के कारण पति में आसक्त होगी और वह तुम पर शासन करेगा”।
17) उसने आदम से कहा, ”चूँकि तुमने अपनी पत्नी की बात मानी और उस वृक्ष का फल खाया है, जिस को खाने से मैंने तुम को मना किया था, भूमि तुम्हारे कारण शापित होगी। तुम जीवन भर कठोर परिश्रम करते हुए उस से अपनी जीविका चलाओगे।
18) वह काँटे और ऊँट-कटारे पैदा करेगी और तुम खेत के पौधे खाओगे।
19) तुम तब तक पसीना बहा कर अपनी रोटी खाओगे, जब तक तुम उस भूमि में नहीं लौटोगे, जिस से तुम बनाये गये हो क्योंकि तुम मिट्टी हो और मिट्टी में मिल जाओगे”।
20) पुरुष ने अपनी पत्नी का नाम ‘हेवा’ रखा, क्योंकि वह सभी मानव प्राणियों की माता है।