बेथलेहेम की ओर यात्रा – नूह के साथ
Journey to Bethlehem
बेथलेहेम की ओर यात्रा का चौथा दिन हमारे साथ नूह हैं । आइये हम इनके साथ का पूरा पूरा लाभ उठाएँ और हमारी इस यात्रा को सफल बनाएँ।
उत्पत्ति ग्रन्थ 6:5-22
5) प्रभु ने देखा कि पृथ्वी पर मनुष्यों की दुष्टता बहुत बढ़ गयी है और उनके मन में निरन्तर बुरे विचार और बुरी प्रवृत्तियाँ उत्पन्न होती हैं, 6) तो प्रभु को इस बात का खेद हुआ कि उसने पृथ्वी पर मनुष्य को बनाया था। इसलिए वह बहुत दुःखी था। 7) प्रभु ने कहा, ”मैं उस मानवजाति को, जिसकी मैंने सृष्टि की है, पृथ्वी पर से मिटा दूँगा – और मनुष्यों के साथ-साथ पशुओं, रेंगने वाले जीव-जन्तुओं और आकाश के पक्षियों को भी – क्योंकि मुझे खेद है कि मैंने उन को बनाया है”। 8) नूह को ही प्रभु की कृपादृष्टि प्राप्त हुई। 9) नूह का वृत्तान्त इस प्रकार है। नूह सदाचारी और अपने समय के लोगों में निर्दोष व्यक्ति था। वह ईश्वर के मार्ग पर चलता था। 10) नूह के तीन पुत्र थे – सेम, हाम और याफेत। 11) अब संसार ईश्वर की दृष्टि में भ्रष्टाचारी बन गया था और हिंसा से परिपूर्ण था। 12) ईश्वर ने देखा कि संसार भ्रष्टाचारी हो गया है, क्योंकि सब शरीर-धारी कुमार्ग पर चलने लगे थे। 13) ईश्वर ने नूह से कहा, ”मैंने सब शरीरधारियों का विनाश करने का संकल्प किया, क्योंकि उनके द्वारा संसार हिंसा से भर गया है। देखो, मैं पृथ्वी के साथ उनका विनाश करूँगा। 14) तुम अपने लिए गोफर वृक्ष की लकड़ी का पोत बना लो। उस पोत में कक्ष बनाना और उस में भीतर-बाहर डामर लगा देना। 15) तुम उसे इस प्रकार बनाना : पोत तीन सौ हाथ लम्बा, पचास हाथ चौड़ा और तीस हाथ ऊँचा हो। 16) उस पोत में ऊपर चारों ओर एक हाथ ऊँची एक खिड़की बनाना। पोत में एक दरवाजा बनाना और उस में नीचे की, बीच की और ऊपर की मंजिलें बनाना; 17) क्योंकि मैं पृथ्वी पर आकाश के नीचे सब शरीरधारी प्राणियों का विनाश करने पृथ्वी पर जलप्रलय भेजूँगा। जो कुछ पृथ्वी पर है, वह सब नष्ट हो जायेगा। 18) परन्तु मैं तुम से अपना नाता रखूँगा। तुम्हारे पुत्र, तुम्हारी पत्नी और तुम्हारे पुत्रों की पत्नियाँ, सब तुम्हारे साथ पोत में प्रवेश करें। 19) सब प्रकार के प्राणियों के नर-मादा का एक-एक जोड़ा पोत में ले आना, जिससे वे भी तुम्हारे साथ जीवित रहें। 20) विभिन्न जातियों के पक्षियों, विभिन्न जातियों के पशुओं और विभिन्न जातियों के जमीन पर रेंगने वाले प्राणियों का एक-एक जोड़ा तुम्हारे पास आयेगा, जिससे वे जीवित रहें। 21) अपने साथ सब प्रकार के भोज्य पदार्थ ले लेना और उन्हें संचित रखना। वे तुम्हारे और उनके भोजन के काम आयेंगे।” 22) नूह ने यही किया; उसने ईश्वर की आज्ञा के अनुसार सब कुछ किया। |