स्तोत्र ग्रन्थ – 114

Psalm 114 || भजन संहिता 114

1) अल्लेलूया! जब इस्राएल मिस्र से निकला, जब याकूब का वंश विदेशी राष्ट्र से भाग चला,

2) तो यूदा प्रभु का मन्दिर बना और इस्राएल उसका राज्य।

3) समुद्र यह देख कर भाग चला, यर्दन नदी उलटी दिशा में बहने लगी।

4) पर्वत मेढ़ों की तरह उछल पड़े, पहाड़ियाँ मेमनों की तरह।

5) समुद्र! तू क्यों भागा? यर्दन! तू उलटी दिशा में क्यों बहने लगी?

6) पर्वतो! तुम मेढ़ों की तरह क्यों उछल पड़े? पहाड़ियो! तुम मेमनों की तरह क्यों उछल पड़ी?

7) पृथ्वी प्रभु के सामने कम्पित हो, याकूब के ईश्वर के सामने,

8) जो चट्टान को जलाशय में पथरीली भूमि को उमड़ते स्रोत में बदल देता है।

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