स्तोत्र ग्रन्थ – 122

Psalm 122 || भजन संहिता 122

1) मैं यह सुन कर आनन्दित हो उठाः “आओ! हम ईश्वर के मन्दिर चलें”।

2) येरूसालेम! अब हम पहुँचे हैं, हमने तेरे फाटकों में प्रवेश किया है।

3) एक सुसंघटित नगर के रूप में येरूसालेम का निर्माण हुआ है।

4) यहाँ इस्राएल का वंश, प्रभु के वंश आते हैं। वे ईश्वर का स्तुतिगान करने आते हैं, जैसा कि इस्राएल को आदेश मिला है।

5) यहाँ न्याय के आसन, दाऊद के वंश के आसन संस्थापित हैं।

6) येरूसालेम के लिए शान्ति का यह वरदान माँगों: “जो तुझ को प्यार करते हैं, वे सुखी हों।

7) तेरी चारदीवारी में शान्ति बनी रहे! तेरे भवनों में सरुक्षा हो!”

8) मेरे भाई और मित्र यहाँ रहते हैं, इसलिए कहता हूँ: “तुझ में शान्ति बनी रहे”।

9) हमारा प्रभु-ईश्वर यहाँ निवास करता है, इसलिए मैं तेरे कल्याण की मंगलकामना करता हूँ।

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भजन संहिता (स्तोत्र ग्रन्थ) को अच्छे से समझने इसके परचिय पर बनाये गए वीडियो को देखिये।