स्तोत्र ग्रन्थ – 61

Psalm 61 || भजन संहिता 61

2 (1-2) ईश्वर! मेरी पुकार सुन, मेरी प्रार्थना पर ध्यान दे।

3) मेरा हृदय डूब रहा है, मैं दूर-दूर से तेरी दुहाई देता हूँ। तू मुझे उस चट्टान पर ले जायेगा, जो मेरे लिए अगम्य है;

4) क्योंकि तू मेरा आश्रय है, शत्रु के विरुद्ध सुदृढ़ गढ़।

5) ओह! कितना अच्छा होता कि मैं सदा के लिए तेरे तम्बू में रहता और तेरे पंखों के नीचे शरण पाता।

6) ईश्वर! तू मन्नतें स्वीकार करता है; जो तेरे नाम पर श्रद्धा रखते हैं, तू उनकी इच्छा पूरी करता है।

7) राजा की आयु को और भी बढ़ा, वह पीढ़ी-दर-पीढ़ी जीवित रहें।

8) वह ईश्वर के सामने राज्य करते रहें; सत्यप्रतिज्ञता और सत्य उन्हें सुरक्षित रखें।

9) तब मैं प्रतिदिन अपनी मन्नतें पूरी करते हुए निरन्तर तेरे नाम की स्तुति करूँगा।

The Content is used with permission from www.jayesu.com

भजन संहिता (स्तोत्र ग्रन्थ) को अच्छे से समझने इसके परचिय पर बनाये गए वीडियो को देखिये।