स्तोत्र ग्रन्थ – 72

Psalm 72 || भजन संहिता 72

1) ईश्वर! राजा को अपना न्याय-अधिकार, राजपुत्र को अपनी न्यायशीलता प्रदान कर।

2) वह तेरी प्रजा का न्यायूपर्वक शासन करें और पददलितों की रक्षा करें।

3) न्याय के फलस्वरूप पर्वत और पहाड़ियों अपनी उपज से जनता को सम्पन्न बनायें।

4) राजा पददलितों को न्याय दिलायें, दरिद्रों की सन्तति की रक्षा करें और अत्याचारी का दमन करें।

5) वह सूर्य और चन्द्रमा की तरह पीढ़ी-दर-पीढ़ी बने रहें।

6) वह घास के मैदान पर बौछार के सदृश हों, पृथ्वी को सींचने वाली वर्षा के सदृश।

7) उनके राज्यकाल में न्याय फले-फूले और अपार शान्ति सदा-सर्वदा छायी रहे।

8) उनका राज्य एक समुद्र से दूसरे समुद्र तक, फ़रात नदी से पृथ्वी के सीमान्तों तक फैल जाये।

9) उनके विरोधी उनके सामने घुटने टेकेंगे। उनके शत्रु खेत रहेंगे।

10) तरशीश और द्वीपों के राजा उन्हें उपहार देने आयेंगे, शेबा और सबा के राजा उन्हें भेंट चढ़ाने आयेंगे।

11) सभी राजा उन्हें दण्डवत् करेंगे। सभी राष्ट्र उनके अधीन रहेंगे।

12) वह दुहाई देने वाले दरिद्रों और निस्सहाय पददलितों का उद्धार करेंगे।

13) वह दरिद्र और दुर्बल पर दया करेंगे। वह दरिद्रों के प्राण बचायेंगे।

14) वह अन्याय और अत्याचार से उनकी रक्षा करेंगे, क्योंकि वह उनके प्राणों का मूल्य समझते है।

15) वह दीर्घायु हों। शेबा का स्वर्ण उन्हें भेंट किया जायेगा। लोग उनके लिए निरन्तर प्रार्थना करेंगे, वे उन्हें सदा धन्य कहेंगे।

16) पर्वतों के शिखर तक खेतों का विस्तार हो, गेहूँ की बालें लेबानोन की तरह लहलहायें। येरूसालेम से दूर-दूर तक हरियाली फैल जाये।

17) राजा का नाम सदा बना रहे, उनका वंश सूर्य की तरह चिरस्थायी हो। वह सबों के कल्याण का कारण बनें, समस्त राष्ट्र उन्हें धन्य कहें।

18) प्रभु-ईश्वर, इस्राएल का ईश्वर धन्य है। वही अपूर्व कार्य दिखाता है।

19) उसका महिमामय नाम सदा-सर्वदा धन्य है। उसकी महिमा समस्त पृथ्वी में व्याप्त हो! आमेन। आमेन।

The Content is used with permission from www.jayesu.com

भजन संहिता (स्तोत्र ग्रन्थ) को अच्छे से समझने इसके परचिय पर बनाये गए वीडियो को देखिये।