Psalm 126 || भजन संहिता 126
1) जब प्रभु ने सियोन के निर्वासितों को लौटाया, तो हमें लगा कि हम स्वप्न देख रहे हैं।
2) हमारे मुख पर हँसी खिल उठी, हम आनन्द के गीत गाने लगे। गैर-यहूदी आपस में यह कहते थे: “प्रभु ने उनके लिए अपूर्व कार्य किये हैं”।
3) उसने वास्तव में हमारे लिए अपूर्व कार्य किये हैं और हम आनन्दित हो उठे।
4) प्रभु! मरुभूमि की नदियों की तरह हमारे निर्वासितों को लौटा दे।
5) जो रोते हुए बीज बोते हैं, वे गाते हुए लुनते हैं;
6) जो बीज ले कर जाते हैं, जो रोते हुए जाते हैं, वे पूले लिये लौटते हैं, वे गाते हुए लौटते हैं।
The Content is used with permission from www.jayesu.com
भजन संहिता (स्तोत्र ग्रन्थ) को अच्छे से समझने इसके परचिय पर बनाये गए वीडियो को देखिये। |