Psalm 93 || भजन संहिता 93
1) प्रभु राज्य करता है। वह प्रताप का वस्त्र ओढ़े और सामर्थ्य का कटिबन्ध बाँधे है। उसने पृथ्वी का आधार सुदृढ़ बनाया है।
2) तेरा सिंहासन प्रारम्भ से स्थिर है। तू अनन्त काल से विद्यमान है।
3) प्रभु! बाढ़ की लहरें उमड़ रही हैं, बाढ़ की लहरें गरज रही हैं, बाढ़ की लहरें घोर गर्जन कर रही हैं।
4) आकाश के ऊपर विराजमान प्रभु बाढ़ के गर्जन और महासागर की प्रचण्ड लहरों से कहीं अधिक शक्तिशाली है।
5) प्रभु! तेरे आदेश अपरिवर्तनीय है। तेरे मन्दिर की पवित्रता अनन्त काल तक बनी रहेगी।
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