स्वास्थ्य की माता वेलांकनी की नौरोजी प्रार्थना – तीसरा दिन
विषय :- धन्य कुँवारी मरियम : मेलमिलाप की माँ
माँ मरियम के जन्मोत्सव की तैयारी के तीसरे दिन माँ मरियम को “मेलमिलाप की माँ” के रूप में मनन कर रहे हैं।
हम कैसे कह सकते हैं “धन्य कुँवारी मरियम : मेलमिलाप की माँ”? क्या यह सही है या गलत?
यह माँ मरियम के बारे में काम और प्रभु येसु के बारे में ज्यादा है। तो आइये हम इस रहस्य हो समझने की कोशिश करते हैं।
मनुष्य और ईश्वर के बीच दुश्मनी थी जिसको नष्ट करने स्वयं ईश्वर मनुष्य बनकर आये। वे अपने व्यक्ति में ही दोनों को एक कर दिए।
8) किन्तु हम पापी ही थे, जब मसीह हमारे लिए मर गये थे। इस से ईश्वर ने हमारे प्रति अपने प्रेम का प्रमाण दिया है।
9) जब हम मसीह के रक्त के कारण धार्मिक माने गये, तो हम निश्चिय ही मसीह द्वारा ईश्वर के दण्ड से बच जायेंगे।
10) हम शत्रु ही थे, जब ईश्वर के साथ हमारा मेल उसके पुत्र की मृत्यु द्वारा हो गया था और उसके साथ मेल हो जाने के बाद उसके पुत्र के जीवन द्वारा निश्चय ही हमारा उद्धार होगा।
11) इतना ही नहीं, अब तो हमारे प्रभु ईसा मसीह द्वारा ईश्वर से हमारा मेल हो गया है; इसलिए हम उन्हीं के द्वारा ईश्वर पर भरोसा रख कर आनन्दित हैं।
रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 5:8-11
मसीह ने क्रूस पर जो रक्त बहाया, उसके द्वारा ईश्वर ने शान्ति की स्थापना की। इस तरह ईश्वर ने उन्हीं के द्वारा सब कुछ का, चाहे वह पृथ्वी पर हो या स्वर्ग में, अपने से मेल कराया।
कलोसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:20
सबसे पहले – ईश्वर मरियम के गर्भ में ही मेलमिलाप का कार्य प्रारम्भ कर दिए। पवित्र त्रित्व के दूसरे व्यक्ति पवित्र आत्मा की शक्ति से कुँवारी मरियम के गर्भ में जाकर उनसे शरीर लिए और अपने व्यक्ति में ही दोनों स्वभावों को – ईश्वर्य और मानवीय – एक कर दिए।
प्रभु येसु की माँ होने के कारण, धन्य कुँवारी मरियम मेलमिलाप की माँ हैं।
प्रभु येसु का मिशन कार्य वहीं पर प्रारम्भ हुआ और उनके जन्म के बाद इसी को जीने लगे थे। वे अपनी शिक्षा, चमत्कार, दुःख भोग और मृत्यु के द्वारा इसको पूरा किये।
प्रभु येसु की माँ इस कार्य में अपनी योगदान पूर्ण रूप देती है। जब हम धन्य कुँवारी मरियम को अपनी माँ के रूप में स्वीकार करते हैं, वे इस कार्य को हमारे जीवन में सम्पन करती हैं।
हमारे दैनिक जीवन में कैसे मेलमिलाप का कार्य करती हैं?
- ईश्वर और हमारे बीच में मध्यस्त बनती हैं। ईश्वर से हमारे लिए प्रार्थना करती हैं और हमें अपने पापों को स्वीकार करने प्रेरित करती हैं।
- पाप का बोध कराती हैं।
- उनके जीवन से भी हम सीख सकते हैं। पवित्र बाइबिल पढ़ने के द्वारा भी माँ मरियम हमें प्रेरित करती।
- शिष्यों को एकत्र करती हैं जैसे प्रारंपिक कलीसिया में माँ किया करती थी।
- प्रभु येसु को हमारे जीवन में लाने के द्वारा भी माँ मरियम इस मेलमिलाप के कार्य को जारी रखती हैं।
इस विषय को अच्छे से समझने पूरे वीडियो को देखिये।
वेलांकन्नी में माता मरियम के दर्शनों का इतिहास :-
वेलांकन्नी में माता मरियम 16 वीं और 17 वीं सदियों में तीन बार दर्शन दीं। माता मरियम समय समय पर लोगों को दर्शन देकर ईश्वर की इच्छा प्रकट करतीं या लोगों की मदद करतीं।
भारत देश के तमिलनाडु में नागपट्टिनम जिले के वेलांकन्नी नामक जगह पर तीन बार दर्शन दीं।
प्रभु जिस माँ को क्रूस पर मरते समय हमारी माँ के रूप में दिए, वह माँ हमारा देख-रेख करती हैं।