St. Thomas the Apostle of India
संत थोमस प्रभु येसु के 12 प्रेरितों में से एक हैं | भारत देश में विश्वास का बीज इन्होंने ही बोया | पक्षिम देशों में विश्वास के जाने के बहुत पहले ही प्रभु येसु का विश्वास भारत देश में मजबूत हो चुका था |
सामान्य रूप से संत थोमस को अविश्वासी कहा जाता है | लेकिन वास्तव में वे अन्य प्रेरितों के अपेक्षा ज्यादा विश्वासी थे | प्रभु येसु इस महान संत को विश्वास की एक बहुत बड़ी शिक्षा हमें देने इनका प्रयोग किया |
क्या है वह शिक्षा ?
ईसा ने उस से कहा, “क्या तुम इसलिये विश्वास करते हो कि तुमने मुझे देखा है? धन्य हैं वे जो बिना देखे ही विश्वास करते हैं।” (सन्त योहन का सुसमाचार 20:29) येसु में विश्वास करने के लिए सुसमाचार सुनना ही पर्याप्त होना चाहिए जैसे अन्य शिष्यों ने संत थोमस को सुनाया था | संत थोमस अन्य सभी प्रेरितों से सबसे ज्यादा दूर यात्रा कर भारत देश आये | इसका कारण प्रभु येसु में उनका दृढ़ विश्वास | सुसमाचार सुनना हर ख्रीस्तीय की जिम्मेदारी है | क्यों? इसका जवाब स्वयं संत योहन देते हैं – “ईसा ने अपने शिष्यों के सामने और बहुत से चमत्कार दिखाये जिनका विवरण इस पुस्तक में नहीं दिया गया है। इनका ही विवरण दिया गया है जिससे तुम विश्वास करो कि ईसा ही मसीह, ईश्वर के पुत्र हैं और विश्वास करने से उनके नाम द्वारा जीवन प्राप्त करो।”
(सन्त योहन का सुसमाचार 20:30-31)
हमारे भारत देश के प्रेरित संत के विश्वास से प्रेरित होने पूरे वीडियो को देखिए |